ऋषि कपूर का अचानक चला जाना सबको अखर गया। एक ऐसा कलाकार जो अंतिम सांस तक डॉक्टरों को हंसाता रहा और जो चाहता था कि उन्हें हंसते हुए याद किया जाए, रोते हुए नहीं
स्वर्गीय ऋषि कपूर को श्रध्दांजलि
नेहा
टी एस इलियट का एक कथन याद रहा है- ‘April is a cruellest Month.. कुछ ऐसा ही लग रहा है इन दिनों। देश में बहुत कुछ चल रहा है और उस बहुत कुछ के बीच अब ये खबर मिली कि कैंसर से पीड़ित 67 वर्षीय अभिनेता ऋषि कपूर ने 30 अप्रैल की सुबह मुंबई के एक प्राइवेट अस्पताल में अपनी अंतिम सांसें लीं और दुनिया को अलविदा कह गए। 29 अप्रैल को वह सांस लेने में परेशानी होने की वजह से ही अस्पताल में भर्ती हुए थे।
उनके दुनिया से चले जाने की खबर उनके सबसे करीबी दोस्त अमिताभ बच्चन ने ट्वीट करके दी।
उनका इस तरह जाना हिंदी सिनेमा की बहुत बड़ी क्षति है जिसे शायद ही कोई भर सकता है। ऋषि जी के निधन पर देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी अपनी संवेदना जताते हुए ट्वीट किया- “Multifaceted, endearing and lively...this was Rishi Kapoor Ji. He was a powerhouse of talent. I will always recall our interactions, even on social media. He was passionate about films and India's progress. Anguished by his demise. Condolences to his family and fans. Om Shanti.” -@narendramodi
कई नेताओं और हस्तियों ने ऋषि कपूर के निधन की खबर सुन उन्हें याद करते हुए अपनी संवेदनाएँ व्यक्त कीं। आइए जानते हैं ऋषि कपूर के जीवन और उनके व्यक्तित्व के बारे में।
निजी जीवन
चिंटू उर्फ़ ऋषि कपूर का जन्म 4 सितंबर 1952 में मुंबई में हुआ। वहीं अपनी शुरूआती पढ़ाई की और फिर आगे की पढ़ाई के लिए अजमेर चले गए। चॉकलेटी ब्वॉय कहे जाने वाले ऋषि की लव स्टोरीज़ भी कम नहीं थीं। कहा जाता है कि नीतू से शादी करने से पहले वह कई लड़कियों को डेट करते थे, फिर वह फिल्म ‘बॉबी’ की शूटिंग के दौरान डिंपल को पसंद करने लगे लेकिन डिंपल की अचानक से राजेश खन्ना से शादी ने सभी को चौंका दिया। ऋषि, नीतू के साथ पहली बार साल 1974 में आयी ‘ज़हरीला इंसान’ फिल्म में नज़र आए थे। उस समय ऋषि 21 और नीतू 14 साल की थीं। तभी से दोनो में गहरी दोस्ती हो गई थी। इन्होंने एक साथ खेल-खेल में (1975), कभी-कभी (1976), ‘अमर अकबर एंथोनी’(1977), दुनिया मेरी जेब में (1979) जैसी हिट फिल्मों में काम किया। इन दोनों की रोमांटिक जोड़ी को लोगों ने खूब पसंद किया और इस जोड़े ने 22 जनवरी 1980 में शादी कर ली।
इनकी बेटी रिधिमा कपूर और बेटे रणबीर कपूर हैं। बेटे रणबीर कपूर भी पापा ऋषि कपूर की तरह ही आज के चॉकलेटी ब्वॉय हैं। पापा ऋषि और मां नीतू के साथ रणवीर ने ‘बेशरम’ फिल्म में काम किया। यह पहली और आखिरी बार था, जब यह परिवार एक साथ स्क्रीन साझा करता नज़र आया।
व्यक्तित्व
ऋषि कपूर एक मुखर अभिनेता कहे जाते थे। मधु जैन के साथ एक इंटरव्यू में नीतू कपूर बताती हैं कि बॉब ( ऋषि कपूर को वह इसी नाम से पुकारती थीं ) बहुत कंजूस, जलनखोर और जल्दी बुरा मान जाने वाले इंसान हैं। नीतू बताती हैं कि उनकी अपने बेटे से नज़दीकी को वह पसंद करते थे। ऋषि कपूर एक अनुशासन प्रिय पिता के रूप में अपने बच्चों को बड़ा कर रहे थे ताकि वह ज़मीन से जुड़े रहें। ऋषि कपूर एक कठोर और अनुशासन प्रिय पिता के साथ परिवार को समय देने वाले इंसान भी थे। अपने चाचा शशि कपूर की ही तरह वह भी हर रविवार परिवार के लिए समय निकालते थे, भले ही वह कितने ही व्यस्त क्यों न हों !
उनके निधन के बाद एनडटीवी से बात करते हुए फिल्म अभिनेता कबीर बेदी ने बताया- “ऋषि कपूर कमाल के कलाकार और इंसान थे। हमेशा हंसी-मज़ाक बांटना वह अच्छी तरह जानते थे और उनकी खासियत थी कि चाहे वह कितने भी बड़े स्टार हों, लेकिन उनमें ह्यूमैनिटी रही। एक डाउन टू अर्थ फिलिंग रही”।
फिल्मी कैरियर
परिवार में फिल्मी परिवेश की वजह से ऋषि कपूर की भी रुचि अभिनय में हो गई। ऋषि कपूर के अभिनय की शुरुआत पिता राजकपूर की बनाई फिल्म 'मेरा नाम जोकर’ से मानी जाती है लेकिन असल में ऋषि साल 1955 में आयी फिल्म ‘श्री 420’ में नज़र आए थे। इस फिल्म का एक गाना है ‘प्यार हुआ इकरार हुआ...’ जिसमें राज कपूर और नरगिस के पीछे बारिश में चलने वाले तीन बच्चों में एक ऋषि कपूर थे। वैसे तब वह तीन साल के थे और नरगिस ने उन्हें इस शॉट को अच्छे से करने के लिए चॉकलेट का लालच दिया था और वह मान गए थे।
ऋषि कपूर ने बतौर एक्टर साल 1973 में आई फिल्म ‘बॉबी’ में काम किया और आते ही ऋषि कपूर और डिंपल कपाड़िया की जोड़ी छा गई थी। इस किरदार के लिए उन्हें फिल्म फेयर अवार्ड (1974) मिला। फिर क्या था, लवर ब्वॉय अब नैशनल स्वीटहार्ट बन गया था। साल 1973 से 2000 के बीच ऋषि कपूर ने 92 रोमांटिक फिल्मों में काम किया जिनमें से 36 फिल्में सुपरहिट साबित हुईं। इन फिल्मों में ‘कर्ज़’, ‘चांदनी’, ‘सागर’, ‘अमर अकबर एंथनी’, ‘हम किसी से कम नहीं’, ‘प्रेम रोग’ और ‘हिना’ जैसी फिल्में शामिल हैं। साल 2000 के बाद ऋषि कपूर सहायक भूमिका में नज़र आने लगे जैसे 'जलवा’ (2002), ‘हम तुम’, ‘फ़ना’, ‘नमस्ते लंदन’, ‘लव आजकल’ और ‘पटियाला हाउस’ में वह अपनी दूसरी पारी में नज़र आए। साथ ही कुछ अंग्रेजी फ़िल्मों जैसे ‘डोंट स्टॉप ड्रीमिंग’ (2007) और ‘सांभर सालसा’ (2008) में भी उन्होंने काम किया। ‘अग्निपथ’ में उन्होंने एक खलनायक की भूमिका निभाई, जिसे देखकर सभी दंग रह गए। इस किरदार के लिए उन्हें आईफा का बेस्ट नेगेटिव रोल का अवॉर्ड भी मिला। फिर साल 2018 में आई कॉमेडी-ड्रामा फिल्म ‘102 नॉट आउट’ में वे 27 सालों बाद अमिताभ बच्चन के साथ पर्दे पर दिखाई दिए। उसी साल आई अनुभव सिन्हा द्वारा निर्देशित फिल्म ‘मुल्क’ में तो उन्होंने अपने दमदार अभिनय से सबको चकित कर दिया।
ऋषि कपूर ने हमेशा अपने किरदार के साथ न्याय किया। आज भी लोग उनकी अदाकारी के दीवाने हैं। हिंदी सिनेमा को इतना कुछ देने के बाद अचानक उनका जाना सभी की आंखें नम कर गया। उनकी बेटी रिधिमा को इस बात का दुख रहेगा कि अंतिम समय में वह पिता के साथ नहीं रह पाईं। हालाँकि ऋषि कपूर इसका जवाब भी सवाल के रूप में दे गए हैं कि ‘जाने से पहले एक बार मिलना क्यों ज़रूरी होता है?' वह चाहते थे कि उन्हें आंसुओं से नहीं, बल्कि हंसकर याद किया जाए। ऐसे कलाकार मरते नहीं हैं। जॉर्ज इलियट की पंक्ति है- ‘कोई तब तक नहीं मरता जब तक हम उसे याद करते रहते हैं’।
बहुत खूब बेटा,, खूब बढ़ो
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