Saturday 9 May 2020

मांग लूं ये मन्नत कि फिर वही गोद, वही मां मिले !

मदर्स डे पर विशेष




शबनाज खानम

यूं ही नहीं गूंजती किलकारियां घर आँगन के हर कोने में
जान हथेली पर रखनी पड़ती हैमाँकोमाँहोने में।


वैसे तो मदर्स डे मनाये जाने के पीछे बहुत तरह की कहानियां बताई जाती हैं पर मदर्स डे की छुट्टी पहली बार साल 1908 को हुई, जब आन्ना जर्विस ने वेस्ट वर्जीनिया के सेंट ऐड्रयू मेथोडिस्ट चर्च में अपनी माँ के लिए एक प्रोग्राम रखा। इसके बाद 9 मई 1914 को अमेरिकी प्रेसिडेंट वुड्रोविल्सन ने एक कानून पास किया, जिसमें लिखा था कि मई महीने के हर दूसरे रविवार को मदर्स डे मनाया जायेगा। अमेरिका में इस कानून के पास होने के बाद भारत समेत दुनिया के कई देशों में मदर्स डे मनाया जाने लगा।
मदर्स डे हर कोई अपने-अपने तरीके से सेलिब्रेट करता है और माँ को यह एहसास दिलाता है कि अगर वो ना होतीं तो इस दुनिया में उनके बच्चों का अस्तित्व भी नहीं होता। हर घर में मां की एक अलग कहानी होती है। ये मां की ममता, त्याग और बलिदान का ही सुफल होता है कि बच्चे इस दुनिया से जूझने के लायक बन पाते हैं। आज हम आपको ऐसी ही कुछ मांओं और उनके बच्चों की कहानी बताएंगे।

रोज़ करती है माँ जद्दोजहद  


मेरी एक सहेली है, जो अपनी मां से बेहद प्यार करती हैं। उनकी मां ने बेटियों की पढ़ाई के लिए लोगो के ताने सुने मगर पीछे नहीं हटीं। वह कहती हैं- ‘ऐसी माँ शायद मैं भी बन पाऊं, जैसी मेरी माँ हैं। हम 5 बहनें हैं। उस वक़्त घर की हालत ऐसी नहीं थी कि हम सबको पढाया जा सकता था। अपना खुद का घर तक नहीं था मगर फिर भी मेरी माँ रात-रात भर काम करती थीं। सिलाई करके और बीड़ी बनाके हमारी फीस भरती थी। फिर भी रिश्तेदार उनको खरी-खोटी सुनाते थे कि बेटियों पर खामोख्वाह इतनी मेहनत करके पैसे क्यों बरबाद कर रही हो? लेकिन हमारी माँ ने किसी की नहीं सुनी और वह मेहनत करती रहीं। उसी का नतीजा है कि आज मेरी दो बहनें सरकारी टीचर हैं, दो बहनें बीटीसी कर रही हैं। मैंने मास्टर्स करके ब्यूटीशियन का कोर्स किया और अभी अपना पार्लर चलाती हूं माँ की मेहनत ने ही हम-सबका जीवन संवारा है। हमारे लिए मदर्स डे कोई एक ख़ास दिन नहीं है बल्कि हर दिन हमारे लिए मदर्स डे है। हम रोज़ अपनी माँ से नया सबक सीखते हैं। ज़िन्दगी को मुश्किलों को कैसे आसान बनाया जाता है, ये माँ ही हमें सिखाती हैं।ये सब बताते हुए मेरी सहेली का गला रूंध जाता है।

 बाप का फ़र्ज़ निभाती मां


जब बाप का साया सिर पे ना हो तो सिंगल मदर ही मां और बाप दोनों की जिम्मेदारी निभाती है। ऐसी ही एक सिंगल मदर से मेरी बात हुई, जो अपनी दो बेटियों के साथ रहती हैं और अपने दम पर बेटियों की परवरिश कर रही हैं। अपनी जिंदगी के हालात पर उन्होंने कहा- ‘ जो परेशानियाँ मैंने अपनी जिंदगी में देखी हैं, वो मेरी बेटियां देखें अगर भविष्य में कभी मेरी बेटियों के साथ कोई मसला हो जाये तो वो किसी के ऊपर आश्रित हों, यही सोचकर मैंने अपनी बेटी की शादी के लिए रखे हुए सारे पैसे उनकी पढ़ाई में लगा दिए’ 

उनकी बेटियां भी मां के इस संघर्ष को समझती हैं। उनकी एक बेटी कहती हैं- ‘ रिश्तेदारों के कहने पर माँ ने रिश्ता तय कर दिया था, शादी होने वाली थी, मगर जब मैंने माँ से बात की तो उनको समझ आया कि शादी से कहीं ज्यादा ज़रूरी है पढा़ई तब माँ ने रिश्ता तोड़ दिया और पढ़ाई के लिए कॉलेज भेजा अपनी बेटी का रिश्ता तुड़वाना हर माँ के वश की बात नहीं। जो मेरी माँ ने मेरे लिए किया, वो शायद हर माँ नहीं कर सकती। ये तय है कि अगर माँ चाह ले तो अपने बच्चों का जीवन सुधार सकती है, चाहे वह अकेली  ही क्यों होयह कहते हुए बेटी की आंखें भर जाती हैं। मां-बेटी का ये रिश्ता दिल को छू लेने वाला है

माँ के बिना सब सूना


ये सब कहानियां तो उन खुशनसीब बेटियों की हैं, जिनके साथ मां हैं। लेकिन वैसी भी बेटियां हैं, जिनके सिर पे मां का साया नहीं। ये एक ऐसी लड़की की कहानी है, जिसने अपनी माँ को देखा तो है, मगर अपने बचपन में उसे अपनी मां की शक्ल तक ठीक से याद नहीं। उसके परिवार में पिता, दो बहनें और एक भाई है बड़ी बहन की पिछले साल शादी हो गयी। कुछ दिनों बाद छोटी बहन भी पढ़ाई के लिए बाहर चली गई। भाई भी अपनी पढ़ाई में मसरूफ हो गया। अब कोरोना के चलते पूरा परिवार एक बार फिर साथ रह रहे हैं। पर बेटी को अब अकेलापन महसूस होता है। उसे मां की याद आती है। वह कहती हैं- ‘ मां की जरूरत इस लॉकडाउन में बहुत ज्यादा महसूस हुई। हम सब बहुत अकेला फील करते हैं। उसकी कमी कोई पूरी नहीं कर सकता।’ 

तो दोस्तों ! मैंने आपके सामने मां की कुछ कहानियां रखीं। हर बच्चा यही कहता है कि मां है तो जहान है वरना हर तरफ वीराना है। मां के कदमों में जन्नत है, ये यूं ही नहीं कहा गया। सो अगर आप खुशकिस्मत हैं और आपके साथ मां है तो इस मदर्स डे उसे थैंक्यू जरूर बोलिएगा। कुछ ना हो सके तो एक बार उसे जादू की झप्पी तो दे ही सकते हैं। मां अपने बच्चों के प्यार की भूखी होती है। वही उसे मिल जाए, तो दुआ देने लगती है। 
मांग लूं यह मन्नत कि फिर यही जहाँ मिले,
फिर वही गोद, फिर वही माँ मिले


आप सभी को हैप्पी मदर्स डे!!

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