Monday 11 May 2020

साक्षात्कार लेने के गुर सिखाती है करण की किताब

पुस्तक समीक्षा

क्या होती है साक्षात्कारों के पीछे की कहानी, जानिए  'डेविल्स एडवोकेट अनटोल्ड स्टोरी' में




अश्वनी


करण थापर की पढ़ाई कैम्ब्रिज और ऑक्सफोर्ड में हुई। करण के पिता प्राणनाथ थापर साल 1962 में चीन से युद्ध के समय सेना प्रमुख थे। जवाहरलाल नेहरू की बहन की बेटी नयनतारा सहगल, थापर की मामी हैं। लेखक खुशवंत सिंह रिश्तेदार हैं। संजय गांधी उनके दोस्त हैं। इंदिरा गांधी उन्हें आपातकाल के दौरान 1976 में फिल्म दिखाती हैं। कुल मिलाकर कहा जाए तो थापर का संबंध समृद्ध परिवार से है। इस किताब की शुरुआत होती है उनके बचपन से, जहां उनकी तीन बहनें और वो सबसे छोटे हैं। उनका बचपन ज्यादातर बोर्डिंग स्कूल में बीता। करण साल 1977 में कैम्ब्रिज की यूनियन सोसायटी (चर्च से संबंधित) के अध्यक्ष बने और ऑक्सफोर्ड यूनियन सोसायटी की अध्यक्ष बनीं बेनजीर भुट्टो। इस वजह से करण और बेनजीर में दोस्ती भी हुई। फिर करण ने कैम्ब्रिज के बाद ऑक्सफोर्ड में दाखिला लिया और वहां पीएचडी बीच में छोड़कर पत्रकारिता की शुरुआत की।


पत्रकारिता और साक्षात्कार


करण ने पत्रकारिता की शुरुआत साल 1980 में लंदन के टाइम्स' अखबार से की। फिर उन्होंने  साल 1982 में एलडब्ल्यूटी (लंदन वीकेंड टेलीविजन) से अपनी टीवी पत्रकारिता की शुरुआत की। यहीं से उनको साक्षात्कार करने की कला प्रोग्राम डायरेक्टर जॉन बिर्ट ने सिखाई। थापर के अनुसार, बिर्ट के साक्षात्कार एक समय पूरे ब्रिटेन में ध्यान से देखे जाते थे। साक्षात्कार देने वाले के चार ही जवाब होते हैं- ‘हां’, ‘ना’, ‘नहीं जानतेऔरकह नहीं सकते इसी कला की वजह से करण भारतीय इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में साक्षात्कार लेने वाले एक महत्वपूर्ण चेहरा बने। करण साल 1990 में लंदन से भारत लौट आए। अपने इस सफर में उन्होंने कई बड़ी हस्तियों का साक्षात्कार लिया, जिसमें  जयललिता, नरेंद्र मोदी, अटल बिहारी वाजपेयी, लालकृष्ण आडवाणी, राजीव गांधी, बराक ओबामा, परवेज मुशर्रफ, वीपी सिंह, पीवी नरसिम्हा राव, बेनजीर भुट्टो और प्रणब मुखर्जी शामिल हैं।

करण का मैच फिक्सिंग पर कपिल देव से लिया गया साक्षात्कार फेमस हुआ, जिसमें कपिल रोने लगे थे और यह तस्वीर अगले दिन अखबारों की सुर्खियां बनी थी। इसी तरह अमिताभ बच्चन से लिया गया साक्षात्कार भी हिट रहाजिसमें अमितजी अपनी पत्नी जया पर गुस्सा हो गए।


साक्षात्कारों की कहानी



करण अपने दो साक्षात्कारों को अपने कैरियर की लोकप्रियता में सबसे महत्वपूर्ण मानते हैं। बीबीसी वर्ल्ड के कार्यक्रम ' 'हार्ड टॉक इंडिया' के लिए  साल 2004 में तमिलनाडु की मुख्यमंत्री जयललिता से चेन्नई में करण ने यह साक्षात्कार लिया था। तब जयललिता इतने गुस्से में थीं कि जब साक्षात्कार के अंत में थापर ने जयललिता से हाथ मिलाते हुए कहा कि आपसे बात करके अच्छा लगा तो जयललिता ने यह कहते हुए माइक पटक दिया- 'लेकिन मुझे आपसे बात करके बिल्कुल अच्छा नहीं लगा।करण के अनुसार, जयललिता इसलिए नाराज हुई थीं क्योंकि उन्होंने साक्षात्कार में उन्होंने दिखा दिया था कि वह पेपर से देखकर जवाब देती हैं।  

इनका दूसरा साक्षात्कार नरेंद्र मोदी का मशहूर रहा। तब मोदी जी गुजरात के मुख्यमंत्री थे और साल 2007 में उस साक्षात्कार में मोदी ने 'दोस्ती बने रहे' कहकर साक्षात्कार तीन मिनट में ही खत्म कर दिया। 

एक साक्षात्कार में अमिताभ बच्चन, पत्नी जया पर सबके सामने नाराज हो गए। करण ने यह साक्षात्कार साल 1992 में किया था, जब अमिताभ 50 साल के हुए थे। उनकी कंपनी अमिताभ बच्चन कॉरपोरेशन लिमिटेड (ABCL) को भी काफी पहचान मिल गई थी और बॉलीवुड में भी उनकी अच्छी छवि थी। करण उनकी पत्नी जया के सामने अमिताभ से रेखा से रिश्तों के बारे में सवाल पूछे थे। तब पति-पत्नी में विवाद हो गया और अमिताभ ने जया पर नाराजगी जताई।


ऐसे ही एक साक्षात्कार के बाद कांग्रेस नेता नरसिम्हा राव ने करण से कहा था- मेरा जवाब हटा दो। यह बात जनवरी 1985 की है, जब वो देश के गृह मंत्री थे। यह साक्षात्कार इंदिरा गांधी की हत्या और सिख विरोधी दंगों के बाद हुआ था। एलडब्ल्यूटी में टीवी प्रोग्रामईस्टर्न आईमें उस साक्षात्कार का प्रसारण अगले दिन होना था। तब राव ने फोन पर करण को कहा कि उन्होंने साक्षात्कार में कुछ ऐसा कहा है, जिसे लेकर वह चिंतित हैं। उनका मानना था कि इससे भारत में वैचारिक उत्तेजना फैलेगी। तब तक करण इस साक्षात्कार की रिकॉर्डिंग भेज चुके थे जिस वजह से फैसला अब उनके गुरु जॉन बिर्ट को लेना था।

इसी प्रकार हिंदुस्तान टाइम्स समिट में बराक ओबामा के कार्यक्रम के मॉडरेटर की भूमिका में करण को पता चला कि अमेरिका की यह लोकतांत्रिक छवि वाला पूर्व राष्ट्रपति भी साक्षात्कार से पहले लिखित सवाल मांगता है और विवादास्पद प्रश्नों के जवाब  घुमा-फिरा के देता है।

इस किताब में एक कहानी आडवाणी और भारत में पाकिस्तान के उच्चायुक्त अशरफ़ जहांगीर क़ाज़ी के बीच मुलाकातों का है। ये मुलाकातें कैसे करण ने छिपकर करवाईं और इसका अंत आगरा समिट के रूप में हुआ। 


करण की किताब में आपको ये समझने को मिलेगा कि साक्षात्कार करने से पहले कितनी तैयारी करनी पड़ती है और क्या रणनीति बनानी पड़ती है। करण ने अपने पत्रकारिता के कैरियर में कई साक्षात्कार लिए। इनकी कहानी खुद करण के मुंह से सुनना दिलचस्प और ज्ञानवर्धक है।

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