Saturday 16 May 2020

कोरोना वायरस के साथ ही डालनी पड़ेगी जीने की आदत

कोरोना का सबसे बड़ा सबक है कि अब हमें जीवन जीने के तरीके बदलने होंगे 
  • संजय दुबे 

भारत में कोरोना वायरस के चलते लगा देशव्यापी लाकडाउन का तीसरा चरण खत्म होने जा रहा है और चौथे चरण की घोषणा होने वाली है लेकिन अब लोगों के मन में ये सवाल है कि आखिर कब तक इसी तरह चरण दर
चरण लाकडाउन बढ़ता रहेगा? उनकी चिंता और सवाल जायज है लेकिन उन्हें यह बात समझ लेनी चाहिए कि यह महामारी जल्दी खत्म होने वाली नहीं है. विश्व स्वास्थ्य संगठन समेत अधिकांश विशेषज्ञों का मानना है कि यह वायरस जल्दी से जाने वाला नहीं है. इसका आखिरी इलाज वैक्सीन की खोज और उसे सभी लोगों तक पहुंचाना है. 

अब जब यह बात लगभग तय हो चुकी है कि कोरोना वायरस के खतरे के साथ ही हमें जीना है तो हमें अपनी जीवन शैली को बदलना होगा. लंबे समय तक हमें सामाजिक दूरी यानी सोशल-डिस्टेंसिंग का पालन करना पड़ेगा, मास्क और सैनिटाइजर अब हमारे वस्त्र और आभूषण की तरह हमारे साथ चिपके रहेंगे. सार्वजनिक जगहों पर जाने, भीड़भाड़ से और गैरजरूरी चीजों के प्रयोग से बचना पड़ेगा.

यही नहीं, इन सब चीजों के बावजूद आप देख ही रहे हैं कि संक्रमण किस तेजी से बढ़ रहा है. लेकिन घबराए नहीं, यह लगातार बढ़ेगा क्योंकि जितनी ज्यादा टेस्टिंग होगी, संक्रमितों संख्या उतनी ज्यादा बढ़ती चली जाएगी लेकिन इसके अलावा कोई तरीका भी नहीं है. कोरोना से बचने के लिए जरूरी है कि संक्रमण के चेन को तोडा जाए और उसके लिए सभी संक्रमित लोगों की पहचान और उन्हें बाकी आबादी से अलग करना सबसे ज्यादा जरूरी है. हालाँकि सबसे बड़ी राहत की बात यह है कि दुनिया में संक्रमण की वजह से मृत्यु दर भारत में सबसे कम है.

अब सबसे बड़ा सवाल यह है कि इस संकट केबीच हमारे जीवन की प्राथमिकताएं क्या होनी चाहिए? आइए समझते हैं.

स्वास्थ्य: कोरोना संकट के दौर में ही नहीं बल्कि हमेशा के लिए किसी ने ठीक ही कहा है कि “पहला सुख निरोगी काया”. यह बात जितनी जल्दी हमारी समझ में आ जाए, उतना ही ठीक है क्योंकि हमारा प्रतिरक्षा तंत्र यानी इम्यून-सिस्टम ही है जो इस महामारी से लड़ने में हमारी मदद करेगा. इसलिए जरूरी है कि इम्यून सिस्टम को
मजबूत करने के लिए पारंपरिक से लेकर डाक्टरों द्वारा सुझाए गए सभी उपायों का पालन करें जैसे तुलसी,सोंठ और काली मिर्च आदि से बना काढ़ा, च्यवनप्राश का सेवन, हल्के गर्म दूध में हल्दी के साथ सेवन आदि. तला-भुना और प्रोसेस्ड खाना खाने से बचें.

इसके साथ ही योग शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य के लिए एक अहम क्रिया है जिससे शरीर को आंतरिक और बाह्य दोनों तरह से मजबूती मिलती है. इसलिए योग को अपनी दिनचर्या में जरुर शामिल करें. एक्सपर्ट द्वारा सुझाए गए सभी खान-पान के नियमों का पालन करते हुए अपने स्वास्थ्य पर ध्यान देना और उसको बेहतर बनाना हमारी पहली प्राथमिकता होनी चाहिए.

रोजगार/पढ़ाई: कोरोना वायरस से उत्पन्न इस भयानक मंदी के दौर में नई नौकरियां पैदा नहीं हो रही हैं और जो हैं, उन पर भी संकट मंडरा रहा है, इसलिए जो नौकरियां बचेगीं, वो सिर्फ अति योग्य उम्मीदवारों को ही मिलेंगी. इसलिए आप जिस भी क्षेत्र से जुड़े हैं उसके लिए ख़ुद को तराशते रहें, नई स्किल्स, नए कोर्सेज करके अपने आप को बेहतर बनाते रहें, आपको अवसर जरूर मिलेगा.

जो लोग पढ़ाई कर रहे हैं, खुद को ज्यादा समय देकर बेहतर ढंग से पढ़ाई कर सकते हैं. साथ ही, पर्याप्त समय होने के नाते अपनी पसंद का कोई नया काम कर सकते हैं मसलन पेंटिंग बनाना, नई भाषा सीखना, संगीत सीखना आदि. अगर आप खुद को बेहतर बनाएंगे तो रास्ते आपके लिए जरूर खुलेंगे.

जीने की कला: रोजमर्रा की जिंदगी की आपाधापी में हमें पीछे पलट कर देखने का मौका ही नहीं मिलता था. इस
संकट ने हमें जीवन जीने की कला सीखने का मौका दिया है, कम से कम वस्तुओं का इस्तेमाल, पैसे बचाना यानी कॉस्ट कटिंग जैसी चीजें अब हमें सीख लेना चाहिए. आर्थिक योजना यानी फाइनेंसियल प्लानिंग आपके जीवन का अहम हिस्सा होना चाहिए, ऐसे संकट के दौर में यही तरीके आपके जीवन को आसान कर सकते हैं. इससे हम अपनी और दूसरों की मदद कर सकते हैं.

इस महामारी का अभी तक जो इलाज है वो सावधानी ही है. अपने आस-पास के माहौल को सकारात्मक रखें. जितनी हो सके, लोगों की मदद करें. आप इस कोरोना नामक चुनौती से लड़ने के लिए पहले खुद को सक्षम बनाए, फिर अपने परिवार को और इसी तैयारी के साथ आप अपने समाज, अपने देश की मदद कर पाएंगे.

(लेखक भारतीय जनसंचार संस्थान में प्रसारण पत्रकारिता के छात्र हैं.)

5 comments:

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  2. Baat ko bhut hi acche se saral bhasa me samghya gya h....... Great job

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कोरोना वायरस के साथ ही डालनी पड़ेगी जीने की आदत

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