Wednesday 8 April 2020

क्या लेबर पार्टी का 14 साल पुराना वनवास ख़त्म कर पाएँगे केयर?

ब्रिटेन में लेबर पार्टी के आंतरिक चुनाव में केयर स्टार्मर बने नेता

  • रोहन रुंजय
ब्रिटेन में मुख्य विपक्षी दल- लेबर पार्टी का इतिहास एक दिलचस्प मोड़ पर है. बीते अप्रैल को हुए पार्टी के आंतरिक चुनाव में केयर स्टार्मर को जीत मिली है. वह लेबर पार्टी के न नेता चुने गए हैं. यह पूरी चुनावी प्रक्रिया करीब चार महीने तक चली. इस चुनाव में लेबर पार्टी के सदस्य और समर्थक वोट डालते हैं और पार्टी का नेता चुनते हैं. इस चुनाव में केयर स्टार्मरके प्रतिद्वंदी के रूप में रेबेका लॉन्ग बेली और लीसा नंदी थीं. लेकिन केयर स्टार्मर को इस चुनाव में करीब 56.2 फीसदी वोट मिले. वही रेबेका बेली को 27.6 फ़ीसदी और लीसा नंदी को 16.2 फीसदी वोट ही मिल पाए. 

इससे पहले लेबर पार्टी में आंतरिक चुनाव साल 2015 हुए थे जिसमें तत्कालीन विजेता उम्मीदवार जेरेमी कोर्बिन को करीब 60 फ़ीसदी वोट मिले थे. हालांकि शुरू से ही केयर स्टार्मर के जीतने की संभावना सबसे ज्यादा बताई जा रही थी. ऐसा इसलिए कि उन्हें सबसे ज्यादा सांसदों का समर्थन मिला था.


कौन-कौन थे उम्मीदवार

रेबेका लॉन्ग बेली

रेबेका ने जनवरी के महीने में अपनी उम्मीदवारी की घोषणा की थी. उन्हें लेबर पार्टी के पूर्व मुखिया जेरेमी कोर्बिन का निकटतम सहयोगी माना जाता है, इसलिए लेबर पार्टी में जेरेमी के विरोधी गुट के नेता रेबेका पर ‘कोर्बिनवाद’ का आरोप लगाते रहे हैं. उनकी उम्मीदवारी को लेबर पार्टी से जुड़े करीब सात संगठनों ने समर्थन दिया था. 

साथ ही, उन्हें 160 संसदीय क्षेत्रों का भी समर्थन प्राप्त था. लेबर पार्टी के करीब 33 सांसदों ने भी उनके नेतृत्व को अपना समर्थन जताया था. रेबेका ब्रिटेन की संसद के लिए पहली बार साल 2015 में सेलफॉर्ड क्षेत्र से चुनी गईं थीं. फिर वर्ष 2016 में उन्हें शैडो चीफ सेक्रेटरी बनाया गया. दिलचस्प ये है कि रेबेका वर्ष 2015 में उन 36 सांसदों में शामिल थीं जिन्होंने जेरेमी कोर्बिन का नाम पार्टी नेतृत्व के लिए आगे बढ़ाया था.

केयर स्टार्मर 

केयर स्टार्मर को शुरू से ही इस रेस का विजेता माना जा रहा था. केयर ने जीत भी दर्ज की. केयर का जन्म लंदन के साउथवार्क में वर्ष 1962 में हुआ. केयर स्टार्मर पहली बार साल 2015 में ब्रिटेन की संसद में चुनकर आए. केयर को कोर्बिन विरोधी गुट का माना जाता है क्योंकि उन्होंने साल 2015 में लेबर पार्टी के नेता के रूप में एनडी बर्नहैम को समर्थन दिया थाकेयर को इस चुनाव में करीब 14 संगठनों का समर्थन हासिल था. केयर को सबसे अधिक लेबर संसदीय क्षेत्र का भी समर्थन प्राप्त था, जिसकी संख्या लगभग 369 थी. उन्हें 88 सांसदों ने भी समर्थन दिया था.

लीसा नंदी

लीसा नंदी एशियाई मूल की हैं. लीसा ब्रिटेन की संसद में साल 2010 में चुन कर आईं. लीसा वीगन नामक क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करती हैं. वीगन क्षेत्र से 100 साल से भी ज्यादा समय से लेबर पार्टी के सांसद चुनकर आते रहे हैं. साल 2010 में ईडी मिलीबैंड की शैडो कैबिनेट में लीसा शिक्षा मंत्री भी रही हैं. 2015 के पार्टी नेतृत्व चुनाव में लीसा ने जेरेमी के विपक्षी एंडी बर्नहैम को समर्थन दिया था. हालांकि बाद में वह जेरेमी कोर्बिन के नेतृत्व वाली शैडो कैबिनेट में भी शामिल रहीं. 

लेकिन बाद में उन्होंने जनमत संग्रह के सवाल पर शैडो कैबिनेट से इस्तीफा दे दिया. लीसा को इस चुनाव में खदान कर्मियों और यहूदी मजदूर संगठन का भी समर्थन प्राप्त था. लेबर पार्टी से जुड़े तीन अनुषांगिक संगठनों ने भी उनकी उम्मीदवारी को समर्थन दिया था. करीब 70 लेबर संसदीय क्षेत्रों और 31 सांसदों ने भी लीसा के नेतृत्व में अपना विश्वास जताया था.

इस बार दो अन्य उम्मीदवार जेस फिलिप्स और एमिली थॉर्नबेरी ने पर्याप्त समर्थन ना मिल पाने की वजह से अपना नाम वापस ले लिया था. लेकिन इन दोनों को कुछ सांसदों का समर्थन मिला था. दोनों को 23-23 सांसदों का विश्वास हासिल था.

शैडो कैबिनेट 

शैडो कैबिनेट ब्रिटेन की संसद की वह कैबिनेट होती है जो मुख्य विपक्षी दल द्वारा बनाई जाती है. हाउस ऑफ कॉमन्स में सत्ता पक्ष के नेता प्रधानमंत्री होते हैं तो विपक्ष के नेता शैडो प्रधानमंत्री होते हैं.

उम्मीदवार की योग्यताएं

लेबर पार्टी में नेता चुनने की प्रक्रिया काफी लंबी है. लेबर पार्टी के कानून के अनुसार, उम्मीदवार की कुछ योग्यताएं तय की गई हैं.

उम्मीदवार बनने के लिए कम से कम 10 फ़ीसदी सांसदों का समर्थन प्राप्त करना होगा जिसमें 10 फ़ीसदी ब्रिटेन की संसद के होंगे. जैसे अभी लेबर पार्टी के सांसदों की संख्या 212 है तो किसी को भी उम्मीदवार बनने के लिए कम से कम 22 सांसदों का समर्थन हासिल करना होगा. उसी तरह उसे 10 फीसदी यूरोप की संसद के सांसद से भी समर्थन प्राप्त करना होगा.

उम्मीदवार को 5 फ़ीसदी लेबर संसदीय क्षेत्र का भी विश्वास हासिल करना होगा या फिर उन्हें तीन अन्य संगठन, जो लेबर पार्टी से जुड़े हों, उनके द्वारा ख़ुद को नामांकित करवाना होगा.

वोटर की अहर्ताएं

लेबर पार्टी के सदस्य और पार्टी से जुड़े अन्य संगठनों के सदस्य ही इस चुनाव में वोट डाल सकते हैं. इस चुनाव में लेबर पार्टी ने वोटरों को लेकर कुछ नियम बनाए थे, जिसके अनुसार जिस भी सदस्य ने 20 जनवरी से पहले पार्टी या उनसे जुड़े संगठनों की सदस्यता हासिल की थी, सिर्फ़ वही लोग वोट डाल सकते थे. वैसे लेबर पार्टी में वोटरों को तीन भाग में बांटा गया है, जिसमें पार्टी सदस्य, पंजीकृत समर्थक और संबद्ध समर्थक शामिल होते हैं. लेबर पार्टी के अनुसार पंजीकृत समर्थक वे होते हैं जो पार्टी को 25 यूरो की फीस देते हैं. ये पूर्णकालिक सदस्य नहीं होते हैं. वहीं संबद्ध समर्थक पार्टी से जुड़े अन्य संगठन, जिसमें मजदूर संगठन और अन्य सामाजिक संगठन शामिल हैं, उसके सदस्य होते हैं.

चुनाव प्रक्रिया

इस बार चुनाव में वोट दो तरीकों से डाला गया. इसके लिए ईमेल और पोस्टल बैलेट का इस्तेमाल किया गया ईमेल से वोट डालने की पूरी प्रक्रिया में पार्टी की तरफ से मतदाता को एक लिंक भेजा जाता है, जिसमें मतदाता अपनी इच्छा के अनुसार दो उम्मीदवार चुनता है. मतदाता अपने सबसे पसंदीदा उम्मीदवार को पहले स्थान पर रखता है और उसके बाद वाले को दूसरे स्थान पर. वहीं पोस्टल बैलेट प्रक्रिया में भी पार्टी के द्वारा मतदाता को एक पोस्ट भेजा जाता है, जिसमें मतदाता बैलेट पर अपने पसंदीदा उम्मीदवारों को वरीयता के आधार पर वोट देता है. उसके बाद वह पोस्ट को वापस पार्टी को भेज देता है. 

इस बार चुनाव का शुरुआती चरण जनवरी के महीने में ही शुरू हो गया था. 7 जनवरी से शुरू हुई यह चुनावी प्रक्रिया 4 अप्रैल को जाकर खत्म हुई. 7 जनवरी से ब्रिटेन की संसद के लेबर सांसदों ने अपने-अपने नेता के पक्ष में नामांकन शुरू कर दिया था. 13 जनवरी को नामांकन करने की अंतिम तारीख रखी गई थी. उसके बाद 14 जनवरी से उम्मीदवारों को अपनी योग्यता साबित करने के लिए संसदीय क्षेत्रों और मान्यता प्राप्त  संगठनों से पर्याप्त समर्थन हासिल करने को कहा गया. इसके लिए 14 फरवरी अन्तिम तारीख रखी गई थी. अलग-अलग तरीकों से वोट डालने की शुरुआत 24 फरवरी से की गई, जो 2 अप्रैल तक चली.

मतगणना 4 अप्रैल को शुरू हुई. इस चुनाव में मतगणना की पूरी प्रक्रिया काफी रोचक होती है. मतगणना में जो उम्मीदवार 50 फीसदी से ज्यादा वोट प्राप्त करता है, उसे विजेता घोषित कर दिया जाता है. नतीजे घोषित होने के बाद एक औपचारिक कार्यक्रम में विजेता के नाम की घोषणा की जाती है. लेकिन इस बार कोरोना वायरस के संक्रमण के चलते विशेष कार्यक्रम को रद्द कर अनौपचारिक तौर से ही नए नेता के नाम की घोषणा की गई.

इस पूरी चुनावी प्रक्रिया की निगरानी और संचालन की जिम्मेदारी राष्ट्रीय कार्यकारिणी को दी गई थी. राष्ट्रीय कार्यकारिणी 39 सदस्यों का एक समूह होता है जिसमें मजदूर संगठन, शैडो कैबिनेट और संसदीय दल के सदस्य शामिल होते हैं.

काफ़ी उम्मीदें हैं केयर से

पिछले साल हुए आम चुनाव में लेबर पार्टी को करारी हार का सामना करना पड़ा था. उसके बाद से ही पार्टी में बार-बार नेतृत्व परिवर्तन की मांग उठ रही थी. कई लोग इस हार के लिए पार्टी के नेता जेरेमी कोर्बिन को जिम्मेदार ठहरा रहे थे. हालांकि इस बार पार्टी में नेतृत्व चुनाव शुरू होने से पहले ही जेरेमी ने किसी को भी समर्थन ना देने की बात कही थी. पूरे चुनाव के दौरान ना तो उन्होंने किसी भी उम्मीदवार का समर्थन किया और ना ही विरोध।

नतीजे आने के बाद जेरेमी कोर्बिन ने ट्विटर पर लेबर पार्टी के नए नेता केयर स्टार्मर को बधाई दी और उन्हें भविष्य के लिए शुभकामनाएं भी. अब पार्टी कार्यकर्ता, राजनीतिक विश्लेषक और मीडियाकर्मी यह देखना चाह रहे हैं कि नए नेता केयर स्टार्मर लेबर पार्टी के उत्थान के लिए क्या करते हैं. साथ ही सवाल यह भी है कि पिछले साल मिली ऐतिहासिक हार के बाद उपजे संकट को वह किस तरह से खत्म कर पाते हैं. 

यूरोपियन यूनियन से ब्रिटेन के अलग होने के बाद केयर को नए सिरे से पार्टी को खड़ा करना होगा. संसद में बॉरिस जॉनसन की बहुमत वाली सरकार को उन्हें ठीक ढंग से चुनौती पेश करनी होगी. केयर के आने के बाद इस साल होने वाले स्थानीय चुनाव में पार्टी से लोगों को काफ़ी अपेक्षाएँ हैं. अगला आम चुनाव साल 2024 में है और ये देखना दिलचस्प होगा कि केयर अपनी योजनाओं और रणनीतियों से लेबर पार्टी के 14 साल पुराने वनवास को खत्म कर पाते हैं या नहीं.

No comments:

Post a Comment

कोरोना वायरस के साथ ही डालनी पड़ेगी जीने की आदत

कोरोना का सबसे बड़ा सबक है कि अब हमें जीवन जीने के तरीके बदलने होंगे  संजय दुबे  भारत में कोरोना वायरस के चलते लगा देशव्यापी लाकडाउन...