Monday 20 April 2020

कौन हैं डब्ल्यूएचओ के मुखिया डा. टेड्रोस और क्यों उनसे नाराज़ हैं राष्ट्रपति ट्रम्प?

जानिए इरिट्रिया में पैदा होने वाले इथियोपियाई टेड्रोस ने कैसे तय किया विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुखिया तक का सफर

  • अनमोल गुप्ता
अनमोल गुप्ता 
कोरोना वायरस महामारी के बीच एक नाम सबसे ज्यादा चर्चा में है और वो है डब्ल्यूएचओ यानी विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुखिया टेड्रोस अधनोम घेब्रेसियस का। डा. टेड्रोस पर अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कोरोना महामारी के प्रति लापरवाही बरतने का आरोप लगाया है और इस कारण ट्रंप ने डब्ल्यूएचओ को दी जाने वाली अमेरिकी मदद भी रोक दी है। ग़ौरतलब है कि विश्व स्वास्थ्य संगठन की नींव 7 अप्रैल 1948 को पड़ी थी और टेड्रोस इसके पहले अफ्रीकी और गैर-चिकित्सक महानिदेशक हैं । 

ट्रंप के आरोपों के बाद दुनियाभर के मीडिया में यह चर्चा होने लगी है कि क्या सच में डब्ल्यूएचओ और उसके मुखिया टेड्रोस ने कोरोना वायरस के खतरे के प्रति लापरवाही बरती है? हालांकि संयुक्त राष्ट्र संघ के प्रमुख एंटोनिया गुटेरस ने कहा है कि यह वक्त यह सब आकलन करने का नहीं है। इस पूरे विवाद से चर्चा में आये टेड्रोस कौन हैं और डब्ल्यूएचओ तक का उनका सफर कब और कैसे हुआ, आइये समझते हैं। 


अफ़्रीकी देश इरिट्रिया में पैदा हुए 


टेड्रोस का जन्म 3 मार्च 1965 को अस्मारा में हुआ था, जो उस समय इथियोपिया (ईस्ट अफ्रीका) में था, लेकिन अब इरिट्रिया की राजधानी है। टेड्रोस के जीवन पर उनके चार वर्षीय भाई की मौत का गहरा आघात हुआ। उनके भाई की मौत खसरा जैसी बीमारी से हुई थी जिस कारण उनका स्वास्थ्य के क्षेत्र में रुझान बढ़ा।

प्रारंभिक शिक्षा

साल 1986 में टेड्रोस ने अस्मार विश्वविद्यालय से जीव विज्ञान में बैचलर ऑफ साइंस (बीएससी) की डिग्री हासिल की। कॉलेज के बाद टेड्रोस जूनियर पब्लिक हेल्थ एक्सपर्ट के तौर पर स्वास्थ्य मंत्रालय में शामिल हो गए। फिर वहां से आगे की पढ़ाई करने लंदन चले गए। लंदन में उन्होंने ट्रॉपिकल मेडिसिन में एमएससी की डिग्री हासिल की, जिसके बाद वह वापस इथियोपिया आ गये। हालांकि सन 2000 में वह फिर से मलेरिया पर पीएचडी करने के लिए पढ़ाई की ओर मुड़े।

साल 2001 में टेड्रोस को टाइग्रे रीजनल हेल्थ ब्यूरो का प्रमुख नियुक्त किया गया। यहाँ उन्होंने एड्स और मेनिन्जाइटिस जैसे रोगों पर काफी काम किया, जिस कारण टाइग्रे प्रांत में इन रोगों के प्रसार में कमी का श्रेय भी इन्हें मिला।

ऐसे शुरू हुआ प्रोफेशनल राजनीतिक करियर

ट्रेड्रोस का नाम पहली बार साल 2005 में इथियोपिया की राजनीति में उभरकर आया। टेड्रोस उस वक़्त वहां के स्वास्थ्य मंत्री बने जिस वक्त पूरा इथियोपिया मलेरिया से त्रस्त था। टेड्रोस ने मलेरिया रोग को खत्म करने के लिए युद्धस्तर पर रणनीति बनायी और उनकी रणनीति काम कर गयी। इथियोपिया में काफी हद तक मलेरिया पर रोकथाम लगी। एड्स, तपेदिक और मलेरिया से लड़ने के लिए उन्हें दो साल के लिए ग्लोबल फंड का बोर्ड चेयरमैन चुना गया। टेड्रोस वैश्विक स्वास्थ्य पहल में काफी सक्रिय रहे। उनके कार्यकाल में इथियोपिया अंतर्राष्ट्रीय स्वास्थ्य साझेदारी के साथ जुड़ने वाला पहला देश बना। टेड्रोस साल 2005-2012 तक इथियोपिया में स्वास्थ्य मंत्री के पद पर बने रहे।

विदेश मंत्री (2015-17)

नवम्बर 2012 में टेड्रोस को विदेश मंत्रालय दे दिया गया जहां उन्होंने इथियोपिया के लिए कई बड़े देशों से व्यापारिक समझौतों पर काम शुरू करवाया। विदेश मंत्री के रूप में साल 2013-2016 में इबोला वायरस महामारी से निपटने के लिए अफ्रीकी संघ को सक्रिय करने में उन्होंने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। कई रिपोर्टों में दावा किया गया है कि विदेश मंत्री रहते हुए उन्होंने इथियोपिया में चीन के कई निवेश शुरू करवाये। एक रिपोर्ट के अनुसार, साल 2015 में चीन ने इथियोपिया में 3.4 बिलियन डॉलर का निवेश किया।

विश्व स्वास्थ्य संगठन के महानिदेशक बने 

24 मई 2016 को 69वें विश्व स्वास्थ्य सभा के पटल पर टेड्रोस ने आधिकारिक तौर पर डब्ल्यूएचओ के महानिदेशक पद के लिए बतौर अफ्रीकी उम्मीदवार अपने नाम की घोषणा कर दी। तब उन्होंने एक टैगलाइन दिया- "एक साथ, एक स्वस्थ विश्व के लिए"। फिर 23 मई 2017 को वर्ल्ड हेल्थ असेंबली द्वारा उन्हें विश्व स्वास्थ्य संगठन का महानिदेशक चुन लिया गया। टेड्रोस का यह चुनाव ऐतिहासिक था क्योंकि डब्ल्यूएचओ का नेतृत्व करने वाले वह पहले अफ्रीकी और साथ ही पहले गैर चिकित्सक महानिदेशक बने। 1 जुलाई 2017 को पाँच साल के लिए उन्होंने पदभार संभाल लिया।
















पुरस्कार

टेड्रोस को मलेरिया पर काम करने के लिए American Society of Tropical Medicine and Hygiene के द्वारा 'यंग इन्वेस्टिगेटर ऑफ द ईयर' से सम्मानित किया जा चुका है। साल 2012 में 'वायर्ड' पत्रिका में दुनिया को बदलने वाले 50 लोगों में से एक वह भी चुने गए। फिर साल 2015 में नई अफ्रीकी पत्रिका में 100 सबसे प्रभावशाली अफ़्रीकियों में से एक चुने गए।

महामारी छुपाने का आरोप

डब्ल्यूएचओ चीफ टेड्रोस पर महामारी छुपाने का आरोप पहली बार नहीं लगा है। इससे पहले भी उन पर तीन बार महामारी छुपाने का आरोप लग चुका है। टेड्रोस के ऊपर पहली बार मई 2017 में आरोप लगा था कि उन्होंने देश में 2006, 2009 और 2011 में तीन महामारियां दर्ज करने से ही इनकार कर दिया था। तब एक प्रोफेसर लैरी गॉस्टिन ने 2017 में न्यूयॉर्क टाइम्स को बताया था कि टेड्रोस के ऊपर हैजा की महामारी की रिपोर्ट की पुष्टि करने की जिम्मेदारी थी। उन्होंने कहा- ‘WHO अपना औचित्य खो देगा अगर उसे कोई ऐसा शख्स चलाएगा जो महामारियों पर पर्दा डालता हो।” उसी साल सूडान में भी हैजा को लेकर टेड्रोस पर यही आरोप लगे थे।

क्या ‘आतंकवादी संगठन’ से जुड़े थे टेड्रोस? 

एक अनजान सी वेबसाईट पॉलिटिकलाइट पोर्टल ने टेड्रोस की पुरानी तस्वीरों के साथ एक रिपोर्ट छापी है जिसका शीर्षक है- 'डब्ल्यूएचओ का प्रमुख एक इथियोपियाई आतंकी है'। इस रिपोर्ट के मुताबिक, टेड्रोस को टिगरे पीपल्स लिबरेशन फ्रंट (टीपीएलएफ) का सदस्य बताया गया है और उसमें कहा गया है कि वह इस संगठन के तीसरे सबसे महत्वपूर्ण पदाधिकारी थे। असल में, इस संगठन को इथियोपिया की राजनीतिक पार्टी के रूप में देखा जाता है, लेकिन 1990 के दशक में अमेरिका ने इसे आतंकवादी संगठनों की सूची में शामिल किया था। बताया जा रहा है कि अमेरिका और इथियोपिया की दुश्मनी पुरानी है जिसका खामियाजा इस बार डब्ल्यूएचओ को भुगतना पड़ रहा है।

'द हिल' की करीब 20 दिन पुरानी रिपोर्ट में भी ज़िक्र है कि यह पार्टी संघर्ष के बाद सत्ता में आई थी और 90 के दशक की शुरूआत में इसे ग्लोबल टेररिज़्म डेटाबेस में सूचीबद्ध किया गया था। इस पार्टी से जुड़े होने के कारण ही टेड्रोस पर आतंकी संगठन से जुड़े होने का आरोप लगाया गया है।



मानवाधिकार हनन का आरोप

टेड्रोस पर भेदभाव और मानवाधिकार हनन के भी कई आरोप लग चुके हैं। पॉलिटिकलाइट पोर्टल ने लिखा है कि टीपीएलएफ के प्रमुख सदस्यों में से एक टेड्रोस के इथियोपिया में स्वास्थ्य मंत्री रहते अमहारा प्रजाति के लोगों की जन्मदर में कमी आई। साथ ही इथियोपिया की जनगणना के दौरान इस प्रजाति के 20 लाख सदस्य गायब कर दिए गए जिसे एथनिक क्लीन्ज़िंग यानी नस्ली सफाई कहा गया।

ज़िम्बाब्वे के पूर्व तानाशाह की नियुक्ति पर भी विवाद

पॉलिटिकलाइट और द हिल दोनों की रिपोर्ट में कहा गया है कि साल 2017 में डब्ल्यूएचओ के प्रमुख का पद संभालने के बाद टेड्रोस ने ज़िम्बाब्वे के पूर्व तानाशाह रॉबर्ट मुगाबे को 'गुडविल एम्बेसडर' नियुक्त कर दिया। इस नियुक्ति पर भारी विवाद हुआ, जिसके बाद मुगाबे को पद से हटाना पड़ा।

ट्रम्प से तकरार

अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप, कोरोना महामारी के समय टेड्रोस का झुकाव चीन की तरफ़ होने का आरोप लगा चुके हैं। हालांकि टेड्रोस ने डब्लूएचओ का बचाव किया है। उन्होंने कहा है कि कोविड-19 का राजनीतिकरण नहीं होना चाहिए। इस महामारी से तभी लड़ा जा सकता है, जब सभी देश एक साथ हों।

क्या होगा टेड्रोस का भविष्य

अमेरिका द्वारा डब्ल्यूएचओ को दिए जाने वाले फंड पर प्रतिबंध लगाये जाने के बाद सबसे बड़ा सवाल ये है कि टेड्रोस का भविष्य क्या होगा? माना जा रहा है कि कोरोना महामारी पूरी दुनिया में नहीं फैलती और ना इससे हज़ारों मौतें होतीं, अगर टेड्रोस सही वक़्त पर ज़रूरी गाइडलाइन्स जारी कर देते। आरोप है कि टेड्रोस की अगुवाई में डब्ल्यूएचओ ने अपनी भूमिका समय पर मुस्तैदी से नहीं निभाई। 

टेड्रोस लगातार अमेरिका के निशाने पर रहे हैं और इस बार यूएन के कई देशों के निशाने पर हैं। मामला इतना गंभीर हो चुका है कि ना सिर्फ टेड्रोस का भविष्य खतरे में है बल्कि खबरें ये भी आ रही हैं कि डब्ल्यूएचओ की भूमिका पर भी दोबारा विचार किया जा सकता है। इस बारे में कुछ रिपोर्ट भी आई हैं कि कैसे डब्ल्यूएचओ कोरोना महामारी से लड़ने में लापरवाह रहा।

(अनमोल: उत्तरप्रदेश के गोरखपुर जिले की रहने वाली हैं. इन्होंने विज्ञान में अपना स्नातक किया है. इस समय हिंदी पत्रकारिता की छात्रा हैं. इनकी रुचि कृषि, पर्यावरण,अन्तरराष्ट्रीय सम्बन्ध और अर्थव्यवस्था में है।)

2 comments:

  1. बहुत सुन्दर आपकी लेखनीय है जिसमें महत्वपूर्ण बाते की गयी है।

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