Tuesday 21 April 2020

भारत के एक गाँव की मासूम कहानी है ‘पंचायत’

वेब सीरीज़ समीक्षा


नेहा


आजकल लॉकडाउन चल रहा है, सो कहीं बाहर नहीं जा सकते। ऐसे में आपके पास मौक़ा है घर बैठे ही पूरे परिवार के साथ गांव-पंचायत घूम लेने का।पंचायतऐसी ही एक वेब सीरीज़ है, जो आपको भारत के गांव की सैर करा देगी। टीवीएफ की बनाई ये वेब सीरीज़ अमेज़न प्राइम पर उपलब्ध है। ये एक कॉमेडी ड्रामा सीरीज़ है, जो रूरल इंड़िया को दिखाती है। इसके कुल आठ एपिसोड हैं, जो 30-40 मिनट के हैं। ये सीरीज़ जीवन की वास्तविकता को दिखाती है और ह्यूमर से भरी है। अगर आप ऐक्शन, रोमांस और थ्रिलर से परेशान हो गए हैं तो आप ये सीरीज़ देख सकते हैं।पंचायतमें भ्रष्टाचार, दहेज, पितृसत्ता जैसे अहम मुद्दों को बहुत ही साधारण, लेकिन प्रभावी तरीके से दिखाया गया है। सोशल मीडिया पर पंचायत खूब तारीफ़ें बटोर रही है। आईएमडीबी (इंटरनेट मूवी डाटाबेस) में इस सीरीज़ को 10 में से 9.1 रेटिंग मिली है। 



कलाकार और अभिनय

दीपक कुमार मिश्रपंचायतके निर्देशक हैं। स्क्रिप्ट चंदन कुमार ने लिखी है। मुख्य कलाकार हैं जितेंद्र कुमार, जो अभिषेक त्रिपाठी की भूमिका निभा रहे हैं। अभिषेक पहले भी अपने अभिनय का लोहा मनवा चुके हैं। अभिषेक का किरदार बिंदास जीवन जीना चाहता है और अपने दोस्तों की तरह उसे शहर की चमक-धमक चाहिए। लेकिन बेरोज़गारी में काम करने की मजबूरी उसे गांव ले आती है।    

नीना गुप्ता, मंजू देवी का किरदार निभा रहीं हैं। इनका अभिनय काबिल--तारीफ़ है। हमेशा की तरह ये पर्दे पर उभरकर आयीं हैं। मंजू देवी गांव की प्रधान हैं लेकिन सिर्फ़ कागज़ों पर। महिला सीट आरक्षण के मुताबिक, ये सीट किसी महिला उम्मीदवार को ही मिलनी थी तो मंजू देवी के पति बृजभूषण दुबे ने उन्हें इलेक्शन में खड़ा कर दिया ताकि वो प्रधान बने रहें। बृजभूषण का किरदार रघुवीर यादव निभा रहे हैं। इन्होंने प्रधान के रूप में एक अच्छे इंसान की भूमिका अदा की है। इनके किरदार में नेताओं का छल-प्रपंच नहीं देखने को मिलेगा। हां, इनके फ़ोन की रिंगटोनरिंकिया के पापाआपका ध्यान ज़रूर खींचती है जो इनके मज़ाकिया मिजाज़ को दिखाती है। 



उपप्रधान के रूप में प्रह्लाद पांडे यानि फ़ैसल मलिक ने रघुवीर यादव का बखूबी साथ निभाया है। ये अक्सर आपको रघुवीर के साथ नज़र आएंगे। इन दोनों की मासूमियत और जुगलबंदी आपको पूरी सीरीज़ में नज़र आएगी। 

अब बारी आती है विकास की भूमिका निभा रहे चंदन रॉय की। विकास अभिषेक का सहायक है और अभिषेक पर इनका अभिनय भारी पड़ता नज़र आता है। चंदन पहली बार स्क्रीन पर आए हैं और आते ही सोशल मीडिया पर छा गए हैं। चंदन ने भारतीय जनसंचार संस्थान, नई दिल्ली से पत्रकारिता की पढ़ाई भी की है। इनके अलावा एक और किरदार की झलक अंत में दिखाती है जो है प्रधान जी की बेटी रिंकी।

क्या है कहानी 

पंचायत कहानी है एक ग्रेजुएट इंजीनियर अभिषेक त्रिपाठी उर्फ़ जितेंद्र कुमार की, जिसे दिल्ली में मनचाही नौकरी नहीं मिल पाती है। वह बहुत महत्वाकांक्षी है लेकिन उसके पास यूपी में जिला बलिया के एक गांव फुलेरा के पंचायत ऑफिस में एक सचिव की नौकरी है। सो अभिषेक पंहुच जाता है फुलेरा गांव। अभिषेक ने जैसा सोचा था, गांव की हालत उससे भी खराब होती है। 

गाँव में बिजली और पानी की समस्या है लेकिन इसके बावजूद अभिषेक कैट के पेपर की तैयारी में लग जाता है। इस क्रम में उसे यहां क्या-क्या दिक्कतें आती हैं और वो कैसे खुद को एडजस्ट करता है, अभिषेक के इर्दगिर्द घूमती कहानी इसी तरह आगे बढ़ती है।

पंचायतके सकारात्मक और नकारात्मक पहलू

इस वेब सीरीज़ में जबरदस्त अदाकारी है, बेकग्राउंड म्यूज़िक लुभाने वाला है और स्क्रिप्ट सधी हुई है। कैमरा वर्क की बात करें तो फ्रेमिंग अच्छी की गई है। लॉन्ग शॉट्स और एरियल शॉट्स अच्छे हैं। इसमें डॉयलॉग्स की बात करें तो वो किसी की भी ज़ुबान पर आसानी से चढ़ जाने वाले हैं और लोगों को खूब हंसाते हैं।

*विकास- एगो मिठाई काहे उठा लिए हैं मेहमान बुझ जाएगा या तो आदमी दु गो मिठाई देता है नहीं तो चार गो, तीन गो थोड़े देता है।

*विकास- पन्ना फाड़ परीक्षा दीजियेगा।
अभिषेक- परीक्षा कम्प्यूटर पर होता है...
विकास- ...तो फिर कम्प्यूटर तोड़ परीक्षा दीजियेगा।
* राष्ट्रगान याद करते समय मंजू देवी अभिषेक से पूछती हैं कि-
याद करने के समय में भी खड़े रहना होगा?’

ऐसे ही बहुत से डॉयलॉग्स हैं जो आपको पूरी सीरीज़ में मिलेंगे जिसमें चुलबुलेपन के साथ ह्यूमर हैं जो सभी को पसंद रहे हैं।

अब सीरीज़ के नकारात्मक पहलुओं की बात। जिस प्रधान को केंद्र में होना चाहिए, जिसे स्क्रीन पर ज़्यादा जगह मिलनी चाहिए थी, उसके किरदार को आखिर में उभारने की कोशिश की गई है। हालांकि मंजू देवी को जितनी जगह मिली है, उसमें वह कमाल की छाप छोड़ती हैं। महिलाओं के बढ़ते कदम की कोशिश को छोटे ही रूप में सही, पर उसे लोगों के सामने लाया गया है। अंत में अभिषेक से जिस टंकी पर चढ़कर गांव सेलव एट फर्स्ट साइटवाली बात बार-बार कही जा रही थी, वो उसे दिखाई तो नहीं देता लेकिन महसूस होता है इसी सस्पेंस के साथ पंचायत खत्म होती है। अब देखना होगा कि अभिषेक कोस्वदेशरास आता है या नहीं। उम्मीद है कि पंचायत का दूसरा सीज़न भी इतना ही रोचक होगा। 

इस वेब सीरीज़ के प्रोमो का लिंक ये रहा। अगर पसंद आए तो वेब सीरीज़ भी देख डालिए





No comments:

Post a Comment

कोरोना वायरस के साथ ही डालनी पड़ेगी जीने की आदत

कोरोना का सबसे बड़ा सबक है कि अब हमें जीवन जीने के तरीके बदलने होंगे  संजय दुबे  भारत में कोरोना वायरस के चलते लगा देशव्यापी लाकडाउन...