Wednesday 15 April 2020

'मोनालिसा' के रचनाकार लियानार्डो मानते थे कि चित्रकारी से लेकर गणित तक सब एक दूसरे से जुड़े हैं


विश्व कला दिवस: जन्मदिन विशेष

विलक्षण प्रतिभा के धनी थे महान कलाकार लियोनार्डो द विंची

  • आँचल गुप्ता 

कोई व्यक्ति अच्छा वैज्ञानिक हो सकता है, इंजीनियर या गणितज्ञ हो सकता है। लेकिन एक ही व्यक्ति उत्कृष्ट चित्रकार,अच्छा वैज्ञानिक, कुशल यांत्रिक, गणितज्ञ, वास्तुशिल्पी, मूर्तिकार, संगीतज्ञ हो सकता है। ऐसे ही विलक्षण प्रतिभा के धनी थे- लियोनार्डो दा विंची जिनका आज जन्मदिवस है। कला, विज्ञान, वास्तु और तकनीक जैसे तमाम क्षेत्रों में उनके अद्भुत योगदान को देखते हुए उन्हें "यूनिवर्सल मैन" की उपाधि दी जाती है। खुद लियोनार्डो दा विंची कहा करते थे कि चित्रकारी से लेकर गणित तक हर चीज आपस में जु़ड़ी हुई है। जरूरत बस यह सीखने की है कि उसे देखा कैसे जाए। 

कैसे शुरू हुई लियानार्डो की जीवन यात्रा 

लियोनार्डो दा विंची का जन्म 15 अप्रैल 1452 को इटली के प्रसिद्ध शहर फ्लोरेंस के निकट विंची में हुआ | उनके पिता एक प्रसिद्ध वकील थे और माँ विंची की ही किसी सराय में कभी नौकरानी रही थी| ऐसा माना जाता है कि लिओनार्डो दा विंची की माता ने वकील साहब के अवैध पुत्र को जन्म दिया था | लियोनार्डो की माता ने बाद में उन्हें अपने पिता को सुपुर्द कर किसी भवन निर्माता से विवाह कर लिया| लिओनार्डो दा विंची का बचपन अपने दादा के घर में ही बीता था। 

सन् 1469 में लिओनार्डो दा विंची के पिता उनके साथ फ्लोरेंस आ गये जहां पर उनके चाचा ने उनकी कई वर्षों तक देखभाल की । फ्लोरेंस में ही उनकी शिक्षा दीक्षा पूर्ण हुई| स्कूल से ही लिओनार्डो दा विंची की प्रतिभा सामने आने लगी। वे गणित की मुश्किल से मुश्किल समस्याओं का समाधान चुटकियों में ही कर लेते थे | सन् 1482 ईस्वी तक उन्होंने विविध विषयों में शिक्षा प्राप्त कर ली थी। 

जब वे केवल 14 वर्ष के थे तब अचानक उनके मन में मूर्तियां बनाने का शौक उभरा | उन्होंने ऐसी मूर्तियां बनाई जिनकी सभी ने प्रशंसा की | जब उन्होंने अपनी शिक्षा पूरी की तब उनके पास आय का कोई साधन नहीं था। लियोनार्डो ने छोटी उम्र से ही विविध विषयों का अनुशीलन प्रारंभ किया लेकिन इनमें से संगीत, चित्रकारी और मूर्तिरचना प्रधान थे। बचपन में ही वे प्रकृति के मनोरम दृश्यों में खोये रहते थे। जीवों से इतना प्रेम था कि वे शाकाहारी थे । 

लियोनार्डो की प्रतिभा और रूचि को देखते हुए उनके पिता ने इन्हें प्रसिद्ध चित्रकार, मूर्तिकार तथा स्वर्णकार, आँद्रेआ देल विरोचियो (Andrea del Verrochio) के पास काम सीखने के लिए भेजा। विरोचियो की छत्रछाया में उन्होंने चित्रकला, मूर्तिकला, वास्तुकला, अभियान्त्रिकी कला का प्रशिक्षण प्राप्त किया । वीरोचियो उनकी लगन और परिश्रग को देखकर बहुत खुश हुए। समय के साथ-साथ लियोनार्डो ने अपने चित्रों में नवीन तकनीकी का इस्तेमाल शुरू किया। उन्होंने किसी वस्तु का चित्र बनाते समय उस पर पड़ने वाले प्रकाश और छाया का चित्र अलग-अलग कोणों तथा अलग-अलग मात्रा में इस प्रकार प्रस्तुत किया कि लोग दातों तले उंगली दबाने पर मजबूर हो जाते थे । 

इसके बाद लियोनार्डो मिलान के ड्यूक की सेवा में चले गए, जहाँ इनके विविध कार्यों में सैनिक इंजीनियरी तथा दरबार के भव्य समारोहों के संगठन भी सम्मिलित थे। 30 वर्ष की अवस्था में उन्होंने न केवल दरबारी चित्रकारी की, बल्कि सेना के उपयोग के लिए पुल, नहर, नहरों का जाल, भाप द्वारा चलाई गयी तोपों का डिजाइन बनाने का कार्य भी किया । 

मिलान में रहते हुए उनकी रुचि शरीर रचना विज्ञान में जाग उठी । वे लावारिस लाशों का चीर-फाड़ करके मानव शरीर के अंगों का सूक्ष्म विश्लेषण करके उनके चित्र भी बनाया करते थे। 

विश्व प्रसिद्ध कृतियाँ  लास्ट सपर और मोनालिसा 

उन्होंने विश्व प्रसिद्ध तस्वीरें 'लास्ट सपर' तथा 'मोनालिसा' गीले प्लास्टर से वाटरकलर से बनाई थी। 1490 के दशक में लियोनार्डो ने ‘द लास्ट सपर’ नाम की वह रचना पूरी की जिसके लिए उन्हें हमेशा याद किया जाते रहेंगे। 


इस चित्र में ईसा मसीह (जीसस) अपने बारह शिष्यों के साथ सफेद चादर बिछी एक मेज पर रखे भोजन को ग्रहण करते दिखाए हैं। बताया जाता है कि जूडस नाम का वह अनुयायी भी इस समय भोज में शामिल था जिसने आगे चलकर ईसा मसीह को धोखा दिया। जीसस इस बात को जानते थे। बाइबिल के मुताबिक वे कहते हैं कि ‘तुम लोगों में से कोई एक विश्वासघात करने वाला है।’ ये शब्द सुनकर उनके अनुयायियों में हलचल मच जाती है और वे इस पर अलग-अलग तरह की प्रतिक्रिया देते हैं। कहा जाता है कि इन्हीं क्षणों की कल्पना करते हुए लियोनार्डो ने इस तस्वीर को उकेरा था। 

कहा जाता हैं कि इसे बनाने में लियोनार्डो को तकरीबन तीन साल का समय लगा था। 'द लास्ट सपर' की खासियत यह है कि इसमें सभी अनुयायियों के चेहरे और भाव-भंगिमाएं बिल्कुल स्पष्ट दिखाई देती हैं। वे एक-दूसरे के निकट और जीसस से दूर भी हैं। दूसरी तरफ इस तस्वीर के मध्य में जीसस हैं जो अपने अनुयायियों से घिरे हुए हैं और उसके बावजूद बिल्कुल अकेले दिखते हैं। इस तरह के गूढ़ संदेशों के चलते इस तस्वीर को दुनिया भर में एक अलग ही स्थान प्राप्त है। 

और उनकी मोनालिसा पेंटिंग तो कहना ही क्या जिसकी मुस्कान के सभी दीवाने हैं. पेरिस के म्यूजियम में सुशोभित 'मोनालिसा' की डेढ़ इंची मुस्कान वाली खूबसूरत पेंटिग को देखकर सभी उनकी प्रतिभा की प्रशंसा किये बिना नहीं रह पाते। 1503 में लियोनार्डो ने रहस्यमयी मुस्कान वाली रहस्यमयी महिला ‘मोनालिसा’ के चित्रण का काम शुरु कर दिया था। लियोनार्डो ने इस तस्वीर में मोनालिसा के मुंह के किनारों और आंखों को इस तरह छायांकित किया है कि मोनालिसा की मुस्कान के कई अर्थ निकाले जा सकते हैं। इन्हीं अलग-अलग मतों के चलते यह तस्वीर हमेशा विवादस्पद रही है। 

कुछ विशेषज्ञों का कहना है कि मोनालिसा की मुस्कान में दैवीय प्रभाव है तो वहीं दूसरों का मानना है कि इन भावों के जरिए वह अपने दुखों को छिपाने की कोशिश कर रही है। उधर, कुछ लोग कहते हैं जिस तरह से मोनालिसा का चित्रण किया गया है उससे पता चलता है कि वह गर्भवती होने के साथ-साथ अपने जीवन को लेकर बहुत निश्चिन्त भी है। 

मोनालिसा के भावों के अलावा मोनालिसा की पहचान भी आज तक रहस्यमयी बनी हुई है। कुछ लोगों का मानना है कि मोनालिसा नेपल्स की राजकुमारी की तस्वीर है। कई जानकार कहते हैं कि यह चित्र लियोनार्डो ने अपनी मां की याद में बनाया था। वहीं कई विशेषज्ञों का कहना है कि मोनालिसा कोई औरत थी ही नहीं बल्कि वह लियोनार्डो के शिष्य सलाई का औरत के भेष में बनाया गया चित्र है। कुछ लोग यह भी कहते हैं कि मोनालिसा कोई और नहीं बल्कि लियोनार्डो द्वारा औरत के भेष में खुद की ही बनाई तस्वीर है। कई लोग कहते है मोनालिसा फ्लोरेंस के अधिकारी की पत्नी है। 

आधुनिक जांचों में मोनालिसा के भावों और लियोनार्डो दा विंची के चेहरे में कई समानताएं होनें की खबरें सामने आती रही हैं। लेकिन पिछले 500 सालों से यह तस्वीर लियोनार्डो के अद्भुत हुनर की गवाह बनी हुई है। हालांकि इसके बाद उन्होंने और भी कई तस्वीरें बनाईं जो प्रसिद्ध तो हुईं लेकिन उनमें से कोई भी मोनालिसा की बराबरी नहीं कर पायी। 


लियोनार्डो की अन्य रचनाएं 

उस काल में की गई लियोनार्डो की कल्पनाएँ—जैसे पनडुब्बी, हेलीकॉप्टर, टैंक, सर्पिल सीड़ियाँ, साफ-सुथरे शहर, अद‍्भुत खिलौने आज साकार हो चुकी हैं। लियोनार्डो ने इटली, रोम तथा फ्रांस में रहते हुए अनेक वास्तु और चित्रकला माडल तैयार किये। उन्होंने एक अलार्म घड़ी का आविष्कार किया। उन्होंने नीचे उतरने हेतु पैराशूट का निर्माण भी किया। वातानुकूलित संयन्त्र की तकनीक भी तैयार की। पानी में चल सकने वाले जूते, पैडल से चलने वाली नाव का डिजाइन भी तैयार किया। लियोनार्डो को संगीत से भी गहरा लगाव था। सन् 1482 में उन्होंने घोड़े के सिर के आकार का एक वाद्ययंत्र बनाया।  

लिओनार्डो दा विंची का 2 मई 1519 में फ़्रांस के क्लाउस नामक शहर में देहांत हो गया था। लेकिन विडम्बना यह है कि एक प्रतिष्ठित कलाकार के रूप में उनकी प्रसिद्धि उनकी मृत्यु के बाद ही फैली। 



कुछ रोचक तथ्य 

1. लिओनार्डो दा विंची पहले ऐसे इंसान थे जिन्होंने आकाश का रंग नीला होने का सही कारण बताया था, ऐसा इसलिए क्योंकि हवा सूरज से आने वाली रौशनी को बिखेर देता है और नीले रंग में बाकी रंगों की तुलना में फैलने की क्षमता अधिक होती है तो हमें दिन में आकाश नीला दिखाई देता हैं। 

2.लियोनार्डो दा विंची एक ही समय में एक हाथ से लिख सकते थे और दूसरे हाथ से चित्र बना सकते थे। 

3.कैंची का अविष्कार करने वाले लिओनार्डो दा विंची ही थे। 

4.लियोनार्डो दा विंची बहुत आसानी से शब्द को उल्टे क्रम में लिख लेते थे, जैसा हमें शीशे में लिखा हुआ दिखाई देता हैं। वह ऐसा तब लिखते थे जब कोई सीक्रेट बात लिखनी हो। 

5.गिनीज वर्ल्ड रिकाॅर्ड के अनुसार लियोनार्डो की चित्रित रचना मोनालिसा पेंटिग इतिहास में सबसे ज्यादा
इंस्योरेंस वैल्यू वाली पेंटिग हैं। 1911 में पेरिस के लूव्र म्यूजियम से चोरी होने के बाद यह सबसे प्रसिद्ध तस्वीर बन गई। 2015 में इसकी कीमत 780 मिलियन US डॉलर थी। 

6.एक फ़ेस रिकॉगनिशन सॉफ्टवेर के अनुसार, लिओनार्डो द विन्ची की चित्रित तस्वीर मोनालिसा 83% खुश, 9% घृणा करने वाली, 6% डरी हुई एवं 2% गुस्से में हैं। 

7.लिओनार्डो ने मोनालिसा की आंख की दाई पुतली पर अपने हस्ताक्षर किये थे। 

8.उन्होंने सबसे पहले पैराशूट, हेलीकॉप्टर और ऐरोप्लेन के स्केच तैयार किये थे। 



( लेखिका भारतीय जनसंचार संस्थान में हिंदी पत्रकारिता की छात्रा हैं.)

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