Wednesday 8 April 2020

क्या फिर मैदान में दिख पाएँगे कैप्टन कूल धोनी?

धोनी दुनिया के इकलौते कप्तान हैं, जिन्होंने अपनी कप्तानी में आईसीसी के सभी टूर्नामेंट जीते 

  • अक्षय कुमार

भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान एमएस धोनी के लिए कभीमिट्टी को छूने पर सोना बन जाए’ और अनहोनी को होनी कर देजैसे विशेषण उपयोग में लाए जाते थे।कैप्टन कूल माही’ औरथाला’ जैसे कई उपनामों से उन्हें पुकारा जाता था। एक वक़्त था जब पाकिस्तान के तत्कालीन राष्ट्रपति परवेज़ मुशर्रफ ने उनके लंबे बालों की सार्वजनिक तारीफ़ कर क्रिकेट का पारा सातवें आसमान पर पहुँचा दिया था। धोनी के मैदान पर आते ही दर्शक दीर्घा में बैठे लोगों में जबरदस्त ऊर्जा का संचार हो जाता था। 

लेकिन भारतीय क्रिकेट का यह चमकता सितारा अब मद्धम होता दिख रहा है। आखिरी बार धोनी को पिछले साल इंग्लैंड की मेजबानी में जुलाई में हुए वर्ल्ड कप के सेमीफाइनल में खेलते देखा गया। वर्ल्ड कप के बाद धोनी बीसीसीआई से दो महीने की छुट्टी लेकर जम्मू-कश्मीर में सेना की ट्रेनिंग के लिए चले गए। उसके बाद वह फिर टीम में जगह नहीं बना सके।

तब कयास लगाए जा रहे थे कि आईपीएल में प्रदर्शन के बल पर धोनी टीम में वापसी कर सकते हैं। इसके लिए सीएसके टीम के साथ जुड़कर उन्होंने अभ्यास भी शुरू कर दिया था लेकिन कोरोना के कारण आईपीएल को फ़िलहाल 14 अप्रैल तक के लिए टाल दिया गया है 

इसके बाद भी भारत में लॉकडाउन बढ़ने की आशंका है, सो आईपीएल का आयोजन फ़िलहाल खटाई में ही दिख रहा है. अगर आईपीएल होता और धोनी इस सत्र में अच्छा प्रदर्शन कर जाते, तो उनके लिए ऑस्ट्रेलिया में होने वाले टी-20 विश्वकप का रास्ता खुल जाता। हाल में ही मशहूर कमेंटेटर हर्षा भोगले ने कहा- अब शायद धोनी का वक्त ख़त्म हो चुका है। आईपीएल के स्थगित होने के साथ ही महेन्द्र सिंह धोनी का दोबारा भारत के लिए खेलने का सपना खत्म होता जा रहा है। राष्ट्रीय टीम के मुख्य कोच रवि शास्त्री ने भी कहा है कि अगर धोनी को टीम में वापसी करनी है, तो उन्हें आईपीएल में अच्छा प्रदर्शन करके दिखाना होगा।

गांगुली वाली बीसीसीआई ने मुँह मोड़ा

भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड यानी बीसीसीआई सभी खिलाड़ियों को सालाना सैलरी देता है लेकिन अक्तूबर 2019 से सितंबर 2020 के लिए घोषित अनुबंध सूची से एमएस धोनी को बाहर कर दिया गया। यह पहला मौका था, जब पूरे कैरियर में धोनी को किसी भी ग्रुप में जगह नहीं मिली। बीसीसीआई की इस अनुबंध सूची में चार कैटेगिरी A+, A, B और C निर्धारित हैं. पिछले सत्र में धोनी को ग्रुप-A में रखा गया था। इस ग्रुप में शामिल सभी खिलाड़ियों को सालाना पाँच करोड़ रुपये दिए जाते हैं। 

इस सूची से बाहर किए जाने के बाद क्रिकेट विशेषज्ञ कह रहे हैं कि धोनी अब बीसीसीआई के भविष्य की किसी योजना में शामिल नहीं दिख रहे हैं बोर्ड उनसे आगे बढ़कर सोच रहा है। 


ऐसी परिस्थिति में सम्भव है कि धोनी खुद संन्यास की घोषणा कर दें या बीसीसीआई एक फेयरवेल मैच के माध्यम से उनकी विदाई कर दे। हालांकि इसके बारे में जब बीसीसीआई अध्यक्ष सौरव गांगुली से पूछा गया तो उन्होंने इसपर कोई भी टिप्पणी करने से मना कर दिया।

बुरे दौर से गुजर रहे हैं धोनी

पिछले वर्ल्ड कप में धोनी ने कुल नौ मैच खेले, जिसमें 45.50 की औसत से 273 रन बनाए। इसमें दो अर्धशतक भी शामिल थे न्यूजीलैंड के खिलाफ सेमीफाइनल में हार के बाद धोनी की काफी आलोचना भी हुई। उस मैच की आखिरी नौ गेंदों में 24 रन की दरकार थी सभी को धोनी पर भरोसा था कि धोनी हमेशा की तरह मैच को जिता कर वापस लौटेंगे। 

लेकिन न्यूजीलैंड के खिलाड़ी मार्टिन गप्टिल के एक शानदार थ्रो ने करोड़ों भारतीयों का दिल तोड़ दिया। धोनी के रनआउट होने के साथ ही भारत का तीसरी बार वर्ल्ड चैंपियन बनने का सपना टूट गया इस मैच में धोनी 72 गेंद खेलकर सिर्फ 50 रन बना सके थे. इस धीमी पारी के लिए उन्हें तीखी आलोचना का सामना करना पड़ा था लेकिन कोई ये नहीं समझ पाया के प्रेशर मैच में ऐसा प्रदर्शन करना कितना मुश्किल हो सकता है।

युवा खिलाड़ियों से मिल रही है चुनौती

एमएस धोनी इस साल जुलाई में 39 साल के हो जाएंगे। अमूमन क्रिकेटर का कैरियर 34-35 साल तक ही माना जाता है इसमें कुछ खिलाड़ी अपवाद हैं, जैसे भारत के महान खिलाड़ी सचिन तेंदुलकर और मुथैया मुरलीधरन जिन्होंने 40 साल या इससे अधिक की उम्र तक क्रिकेट खेला। बढ़ती उम्र के साथ धोनी का प्रदर्शन भी लगातार गिरता जा रहा है। हालांकि धोनी इस उम्र में काफ़ी फिट हैं और मैदान और विकेट के पीछे अभी भी उनकी पुरानी फुर्ती दिखती है। लेकिन बल्लेबाज़ी में उनका रिकॉर्ड थोड़ा सुस्त है। साल 2015 से अब तक खेले 100 वनडे मैच की 78 पारियों में सिर्फ वह सिर्फ़ 2581 रन बना सके। इसमें एक शतक और 17 अर्धशतक भी शामिल हैं। 

पिछले दो सालों से भारत का क्रिकेट प्रबंधन धोनी का उत्तराधिकारी ढूंढने में लगा था। इसके लिए युवा विकेटकीपर बल्लेबाज़ ऋषभ पंत को ज्यादा से ज्यादा मौके दिये गए। पंत ने अपने प्रभावशाली प्रदर्शन से ख़ुद को साबित भी किया। 

ऐसे ही लोकेश राहुल, श्रेयस अय्यर और मनीष पांडे जैसे युवाओं की तरफ़ बोर्ड की नजर है और ये लगातार टीम के लिए अच्छा कर भी रहे हैं. बीसीसीआई के चयन समिति के पूर्व अध्यक्ष एमएसके प्रसाद ने स्पष्ट कहा है कि भविष्य को ध्यान में रखते हुए बोर्ड युवा खिलाड़ियों को तैयार कर रहा है और धोनी हमारे भविष्य की योजना में शामिल नहीं हैं।

आईसीसी के सभी टूर्नामेंट जीतने वाले एकमात्र कप्तान

2 अप्रैल 2011 को मुंबई के वानखेड़े स्टेडियम में नुवान कूलशेखरा की गेंद पर छक्का लगाने के साथ ही धोनी ने इतिहास रच दिया था। 28 साल के लम्बे इंतजार के बाद भारतीय क्रिकेट टीम ने वर्ल्ड कप टूर्नामेंट में बादशाहत हासिल की थी। इस मैच में एमएस धोनी ने विषम परिस्थितियों में मैदान पर आकर 91 रनों की नाबाद मैच जिताऊ पारी खेली, जिसके लिए उन्हेंमैन ऑफ मैच’ पुरस्कार भी मिला। इसी प्रकार 2007 के टी-20 वर्ल्ड कप में पहली बार धोनी का करिश्मा देखने को मिला था। इसका आयोजन पहली बार हुआ था जिसमें भारत ने जीत दर्ज की थी। जब धोनी अपने धुरंधरों के साथ वतन लौटे तो पूरी मुंबई उनकी एक झलक पाने के लिए सड़कों पर उतर गयी थी 


धोनी की कप्तानी में पहली बार साल 2009 में टेस्ट रैंकिंग में टीम इंडिया शीर्ष स्थान पर पहुंची। मैदान पर हमेशा शतरंज की चालों सरीखे अनूठे फैसले लेने के लिए मशहूर महेंद्र सिंह धोनी के हाथ एक और बड़ी सफ़लता तब लगी, जब साल 2013 में इंग्लैंड को उसी के घर में हराकर भारतीय टीम चैंपियंस ट्रॉफी विजेता बनी। इस जीत के साथ ही धोनी दुनिया के इकलौते ऐसे कप्तान बन गए, जिसने अपनी कप्तानी में आईसीसी के सभी टूर्नामेंट जीते।

अपने फैसलों से चकित करने वाले कप्तान

मैदान पर स्पिनर से गेंदबाजी की शुरुआत करानी हो या फिर बल्लेबाजी क्रम में अचानक तब्दीली करनी हो या फिर संन्यास लेना हो, धोनी अपने फ़ैसलों से हमेशा आश्चर्यचकित कर देते हैं। साल 2014 में ऑस्ट्रेलिया दौरे पर टेस्ट सीरीज के बीच में ही उन्होंने टेस्ट क्रिकेट से संन्यास की घोषणा कर सबको हतप्रभ कर दिया। उस वक़्त चार टेस्ट मैचों की सीरीज के पहले मैच में धोनी टीम से नहीं जुड़े थे। उस मैच में युवा विराट कोहली को कप्तानी सौंपी गयी थी दो टेस्ट मैचों में भारत को हार का सामना करना पड़ा था और तीसरा टेस्ट मैच ड्रॉ हो गया। भारत सीरीज गंवा चुका था और इसी के बाद धोनी ने क्रिकेट के सबसे पुराने फॉर्मेट, टेस्ट क्रिकेट से संन्यास ले लिया। 

ऐसा ही चौंकाने वाला निर्णय धोनी ने वनडे और टी-20 से कप्तानी छोड़ कर किया। साल 2017 में अचानक धोनी ने सीमित क्रिकेट के दोनों फॉर्मेट की कप्तानी छोड़ दी। उस समय आईसीसी चैम्पियंस ट्रॉफी होने में सिर्फ पांच महीने बाकी थे। इसपर धोनी ने कहा था अगले वर्ल्ड कप को ध्यान में रखते हुए टीम तैयार करने के लिए उन्होंने कप्तानी छोड़ी है। महान खिलाड़ी और साल 1983 में क्रिकेट विश्वकप विजेता टीम के कप्तान कपिलदेव धोनी के बारे में कहते हैं- भारत को धोनी जैसा खिलाड़ी मिलना गर्व की बात है। धोनी एक महान खिलाड़ी और कप्तान हैं। इनके जाने के बाद टीम में इसकी भरपाई सम्भव नहीं है।


हमेशा शांत रहने वाले धोनी को देश-दुनिया के करोड़ों क्रिकेट फैंस फिर से मैदान पर देखना चाहते हैं लेकिन धोनी कब क्या करेंगे, इसका अनुमान लगाना मुश्किल है। भारत के तीसरे सर्वश्रेष्ठ पुरस्कार पद्मविभूषण से सम्मानित महेंद्र सिंह धोनी का भारतीय क्रिकेट में योगदान अतुलनीय है 

भारत में क्रिकेट धर्म की तरह पूजा जाता है। यहां लोग क्रिकेटर को भगवान मानते हैं। सो क्रिकेट प्रेमी माही को एक बार फिर मैदान पर एक्शन में देखना चाहेंगे। चूँकि क्रिकेट अनिश्चितताओं का खेल है तो हमें भी धोनी की वापसी का इंतज़ार रहेगा। 

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